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Shiv Chalisa in Hindi | Shiv Chalisa download in pdf

June 22, 2021 Add Comment
Shiv Chalisa in Hindi 

॥दोहा॥ 
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
 कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ 

  ॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
 भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
 अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
 वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥ 
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
 कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ 
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
 कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
 देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ 
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ 
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ 
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ 
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ 
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
 दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ 
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ 
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥ 
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
 पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ 
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ 
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ 
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ 
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ 
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ 
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ 
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
 मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
 स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥ 
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ 
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ 
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ 
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
 नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ 
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
 ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥ 
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
 पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
 त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
 धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
 जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
 कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ 

  ॥दोहा॥ 
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥ 
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

Hanuman Chalisa Path in Hindi PDF Full Lyrics | हनुमान चालिसा हिन्दी

March 31, 2020 1 Comment
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार


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9 बजे 9 मिनट एक गांव मे



चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥

लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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